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जुलाई 22, 2023

खुशियों के छींटे

हिंदी कविता Hindi Kavita खुशियों के छींटे Khushiyon ke Cheente

कभी अंधेरी रात में,

बादल बिन आकाश में,

सर को उठाकर देखा है ?


काले-कोरे से कैनवस पर,

कुछ उजले-उजले छींटे हैं,

मानो बैठा कोई चित्रकार,

रंगते-रंगते उजला संसार,

रचना अधूरी भूल गया !

निराशा के अनन्त अंधियारे में,

खुशियों के रंग भरने थे,

लेकिन बस छींटे छोड़ गया |


काली अंधेरी रात में,

बस छींटों के प्रकाश में,

तिमिर को साथी मानकर,

अस्तित्व का अवयव जानकर,

बेफ़िक्र बढ़ता जाता हूँ |||

मई 02, 2023

भूरे पत्ते

हिंदी कविता Hindi Kavita भूरे पत्ते Bhoore patte

डाली से टूटकर,


जीवन से छूटकर,


अंतिम क्षणों में सूखे पत्ते ने सोचा –


मैंने क्या खोया ? क्या पाया ?


अहम को क्यों था अपनाया ?


भूरा होकर अब जाता हूँ,


भूरा ही तो मैं था आया !!!

अप्रैल 08, 2023

कितने सुंदर होते हैं फ़ूल !

हिंदी कविता Hindi Kavita कितने सुंदर होते हैं फ़ूल Kitne sundar hote hain Phool


कितने सुंदर होते हैं फ़ूल !


रंगों भरे,


आशाओं भरे,


केवल खुशियाँ देते हैं,


औरों की ख़ातिर जीते हैं,


परिवेश को महकाकर,


चुपके से गुम हो जाते हैं |||

मार्च 31, 2023

उपवन

हिंदी कविता Hindi Kavita उपवन Upvan


रोज़ की घुड़दौड़ से, थोड़ा समय बचाकर,


व्यर्थ की आपाधापी से, नज़रें ज़रा चुराकर,


इक दिन फुर्सत पाकर मैं, इक उपवन को चला |



मंद शीतल वायु थी वहाँ खुशबू से भरी,


क्यारियों में सज रही थीं फ़ूलों की लड़ी,


कदम-कदम पर सूखे पत्ते चरचराते थे,


डाली-डाली नभचर बैठे चहचहाते थे,


जब भी पवन का हल्का सा झोंका आता था,


रंगबिरंगा तरुवर पुष्पों को बरसाता था,


कोंपलों ने नवजीवन का गीत सुनाया,


भंवरों की गुंजन ने पीड़ित चित्त को बहलाया |



रोज़ की आपाधापी से मुझे फुर्सत की दरकार क्यों ?


जीवन में ले आता हूँ मैं पतझड़ की बयार क्यों ?


भीतर झाँका पाया सदा मन-उपवन में बहार है |||

मार्च 23, 2023

बहार

हिंदी कविता Hindi Kavita बहार Bahaar

मृत गोचर हो रहे पादपों पर,


कोंपलों की सज रही कतारें हैं,


अलसुबह शबनमी उपवनों में,


भ्रमरों की सुमधुर गुंजारें हैं,


मंद-मंद लहलहाती कलियों से,


गुलशनों में छा रही गुलज़ारें हैं,


टहनियों पर चहचहाते पंछी कहें,


देखो-देखो आ गई बहारें हैं |||

मार्च 04, 2023

बसंत

हिंदी कविता Hindi Kavita बसंत Basant

सुंदर सुमनों की सुगंध समीर में समाई है,


बैकुंठी बयार बही है, बसंती ऋतु आई है ||

जनवरी 30, 2023

चाँद और रजनी की प्रेम कहानी

हिंदी कविता Hindi Kavita चाँद और रजनी की प्रेम कहानी Chand aur Rajni ki Prem Kahani

चाँद ने रजनी से कहा –


मैं उजला श्वेत सलोना सा,


तू काली स्याह कुरूपनी,


मैं प्रेम का रूपक हूँ,


तू अँधियारे की दासिनी,


अपनी कौमुदी को मैं तुझ,


तमस्विनी पर क्यों बरसाऊं?


मैं भोर के प्रेम में रत हूँ,


निशा को क्यों मैं अपनाऊं?



रजनी ने चंदा से कहा –


तू दिनकर की आभा से प्रोत,


दंभ से क्यों इतराता है?


तू बदलाव का रूपक है,


प्रभात को तू ना भाता है,


ऊषा को भास्कर का वर है,


मैं श्रापित तन्हा कलंकिनी,


अपनी कांति मुझपर बरसा,


मैं तेरे प्यार की प्यासिनी ||

जनवरी 24, 2023

चौपाल का बरगद

हिंदी कविता Hindi Kavita चौपाल का बरगद Chaupal ka Bargad

दादा मेरे कहते थे –


जब गाँव में सड़कें ना थीं,


ना पानी था ना बिजली थी,


तब भी गुमसुम इन राहों पर,


गाँव के बीच चौपाल पर,


एक अतिविशाल बरगद था |



बरगद की शीतल छाया में,


पंचायत बैठा करती थी,


गाँव समाया करता था,


बच्चे भी खेला करते थे,


सावन में झूले सजते थे,


हलचल का केंद्र वो बरगद था |



बरगद की असंख्य भुजाओं पर,


कोयलें कूका करती थीं,


गिलहरियाँ फुदकतीं थीं,


मुसाफ़िर छाया पाते थे,


दिन में वहीं सुस्ताते थे,


जटाओं भरा वो बरगद था |



गाँव में अब मैं रहता हूँ,


लकड़ी लेकर मैं चलता हूँ,


गुमसुम सी उन्हीं राहों पर,


गाँव के बीच चौपाल पर,


पोते को अपने कहता हूँ –


देखो यह वो ही बरगद है ||

दिसंबर 09, 2022

धारा का पेड़

हिंदी कविता Hindi Kavita धारा का पेड़ Dhaare ka ped

एक बार मैंने देखा


बरसाती नदी के बहाव में


एक पेड़ खड़ा था,


जैसे कुरुक्षेत्र की भूमि पर


अपने नातेदारों से


अभिमन्यु लड़ा था |



विपरीत परिस्तिथियों से


धारा के प्रचंड प्रवाह से


किंचित न डरा था,


घोंसले में बैठे चंद


पंछियों को बारिश से


वो अकेला आसरा था |



विपत्तियों की बाढ़ में


टूट कर बिखरा नहीं


अपितु अधिक हरा था,


अगले साल मैंने देखा


सावन के महीने में फ़िर


वो पेड़, वहीं खड़ा था ||

नवंबर 26, 2022

कुछ तो कहते हैं ये पत्ते

हिंदी कविता Hindi Kavita कुछ तो कहते हैं ये पत्ते Kuch toh kehte hain yeh Patte


बरखा की बूंदों सरीख,


बयार में जब ये बहते,


कल डाली से बंधे थे,


आज कूड़े के ढेर में रहते |



पतझड़ की हवाओं में,


बसंत का एहसास बनते,


कोंपल रूप में फिर आयेंगे,


नवारम्भ की गाथा कहते ||


अगस्त 06, 2022

जब काला बादल छाता है

हिंदी कविता Hindi Kavita जब काला बादल छाता है Jab kaala badal chata hai

नीले वीरान उस अम्बर पर,


सविता के तेज़ के परचम पर,


जब काला बादल छाता है,


बरखा का मौसम आता है |



विकट सघन उस कानन पर,


कुदरत के मृदु दामन पर,


जब काला बादल छाता है,


मयूर पंख फैलाता है |



नित्य सिकुड़ते पोखर पर,


दरिया के अवशेषों पर,


जब काला बादल छाता है,


पोखर धारा हो जाता है |



शुष्क दरकती वसुधा पर,


रेती पत्थर या माटी पर,


जब काला बादल छाता है,


नवजीवन प्रारंभ पाता है ||

जुलाई 28, 2022

झूम के सावन आएगा

हिंदी कविता Hindi Kavita झूम के सावन आएगा Jhoom ke Sawan aayega

 

रूखा-सूखा हर तरुवर तब पत्तों से लहराएगा,


नभ से अमृत उतरेगा, जब झूम के सावन आएगा |


चंदा के दरस को, चकोर तरसाएगा,


अम्बर पर मेघ छाएंगें, जब झूम के सावन आएगा |


घटा घनी होगी, दिन में भी रवि छुप जाएगा,


इन्द्रधनुष भी दीखेगा, जब झूम के सावन आएगा |


झुलसाती तपन से तन को भी राहत पहुंचाएगा,


शीतल जल टपकेगा, जब झूम के सावन आएगा |


बहते अश्कों को भी बूँदों का पर्दा मिल जाएगा,


अकेला आशिक तरसेगा, जब झूम के सावन आएगा |


सड़कों पर चलेगी चादर, हर वाहन थम जाएगा,


कागज़ की कश्ती दौड़ेगी, जब झूम के सावन आएगा |


चाय की चुस्की के संग, पकोड़ा ललचाएगा,


भुट्टा भून के खाएंगें, जब झूम के सावन आएगा |


छाते की ओट में इक दिल दूजे से टकराएगा,


प्रेम का झरना बरसेगा, जब झूम के सावन आएगा |


सावन के गीतों संग दिल भी बाग़-बाग़ हो जाएगा,


तीज-त्यौहार मनाएंगें, जब झूम के सावन आएगा ||

जुलाई 23, 2022

बूँदें

हिंदी कविता Hindi Kavita बूँदें Boondein


आसमान से गिरती हैं नन्ही-नन्ही बूँदें,


पथरीले धरातल पर जाने किसको ढूँढें,


बूँद-बूँद धारा बनकर भूमि को सींचें,


नभ पर मोहक रंगों से चित्र मनोहर खींचें,


पत्तों से शाखाओं से मारुत में झूलें,


रूखी-सूखी धरती से दरारों को लीलें,


उदासीन उष्मा को परिवेश से मिटाएं,


उत्सव और त्योहारों का स्वागतगीत सुनाएं ||

जून 10, 2022

कुहासा

हिंदी कविता Hindi Kavita कुहासा Kuhasa

कोहरे की मोटी चादर में,


दुबका-सिमटा सारा परिवेश,


ना गोचर है मार्ग-मंज़िल,


बस तृष्णा ही बाकी है शेष |



भरता हूँ डग अटकल करते,


पथ पर कंटक-कंकड़ या घास ?


मन में है भटकाव का भय,


और धुंध के छँटने की आस |



भाग्य रवि फ़िर दमकेगा,


ओझल फ़िर होगा कुहासा,


तब तक बढ़ता धीरे-धीरे,


जीवनपथ पर मैं तन्हा सा ||

मई 28, 2022

गर्मी का Lockdown

हिंदी कविता Hindi Kavita गर्मी का Lockdown Garmi ka Lockdown

सड़कें सारी कोरी हैं, घर में भी तुम झुलसाते हो,


दिन तक तो ठीक है, रातों को भी गरमाते हो,


कोरोना अब कम है, फ़िर भी Lockdown लगवाते हो,


सूरज दादा बोलो तुम, सर्दी में क्यों नहीं आते हो ??

अप्रैल 01, 2022

राजाजी आने वाले हैं

हिंदी कविता Hindi Kavita राजाजी आने वाले हैं Rajaji aane waale hain

नन्हे-नन्हे फूल अब मुरझाने वाले हैं,


खट्टे-मीठे रसभरे फ़ल ललचाने वाले हैं,


गर्मी में तन को ठंडक पहुंचाने वाले हैं,


फ़लों के राजाजी आने वाले हैं |

नवंबर 09, 2021

हमने एक बीज बोया था

हिंदी कविता Hindi Kavita हमने एक बीज बोया था Humne ek beej boya tha

सूखे निर्जल मरुस्थल में,


मृगतृष्णा के भरम में,


सर्वस्व जब खोया था,


हमने एक बीज बोया था |



जब सपना अपना टूटा था,


अनपेक्षित अंकुर फूटा था,


श्रम से उसको संजोया था,


हमने एक बीज बोया था |



आज मरु पर उपवन छाया है,


जो चाहा था वह पाया है,


फलों से नत लहराया है,


हमने जो बीज बोया था ||

अक्तूबर 28, 2021

प्रकाश का महत्व

हिंदी कविता Hindi Kavita प्रकाश का महत्व Prakash ka mahtva

ना सतरंगी छटा होती श्याम ही श्याम नज़र आता,


ना जीवन होता धरती पर ना नभ को रवि सजाता,


ना शबनम की बूँदें होतीं ना बादल बारिश बरसाता,


ना जीव-जंतु-कीट होते ना पवन में तरुवर लहराता,


ना कलकल बहती धारा में जीवन कभी पनप पाता,


गर रचनाकर की रचना में प्रकाश स्थान नहीं पाता ||

सितंबर 12, 2021

काश! तितली बन जाऊँ !

हिंदी कविता Hindi Kavita काश तितली बन जाऊँ Kaash Titli ban jaaun

नन्हे-नन्हे पर हों मेरे,


फूलों पर मैं मंडराऊँ,


रंगों का पर्याय बनूँ मैं,


कीट कभी ना कहलाऊँ,


सोचा करता हूँ अक्सर मैं,


काश! तितली बन जाऊँ !



जनम भले ही जैसा भी हो,


गाथा अपनी खुद लिख पाऊँ,


पिंजरे को तोड़ मैं इक दिन,


पंख फैला कर उड़ जाऊँ,


सोचा करता हूँ अक्सर मैं,


काश! तितली बन जाऊँ !



अंधड़ में बहकर भी मैं बस,


सुंदरता ही फैलाऊँ,


दो क्षण ही अस्तित्व अगर हो,


जीवनभर बस मुस्काऊँ,


सोचा करता हूँ अक्सर मैं,


काश! तितली बन जाऊँ !!

अगस्त 14, 2021

मेरे अश्क

हिंदी कविता Hindi Kavita मेरे अश्क Mere Ashk

मैं बरखा में निकलता हूँ, मन का सुकून पाने को,


अपने अश्कों को बारिश की, बूँदों में छिपाने को ||

राम आए हैं