दिसंबर 13, 2020

काश मैं पंछी होता

हिंदी कविता Hindi Kavita काश मैं पंछी होता Kaash main Panchi hota

काश मैं पंछी होता,


सुबह-सवेरे नित दिन उठता,


अन्न-फ़ल-दाना-कण चुगता,


खुले गगन में स्वच्छंद फिरता,


दरख्तों की टहनियों पर विचरता,


तिनकों से अपना घर बुनता,


हरी हरी आँचल में बसता |



काश मैं पंछी होता,


सरहद की न बंदिश होती,


आपस में न रंजिश होती,


व्यर्थ की चिंता ना करता,


कंचन के पीछे ना पड़ता,


भूत का ना बोझ ढोता,


कल के कष्टों से कल लड़ता |



काश मैं पंछी होता,


प्रकृति का मैं अंग होता,


उसके नियमों संग होता,


वृक्षों पर जीवन बसाता,


जीवों की हानि ना करता,


पृथ्वी को पावन मैं रखता,


निष्कलंक निष्पाप मैं रहता ||

दिसंबर 06, 2020

जीवनचक्र

हिंदी कविता Hindi Kavita जीवनचक्र Jeevanchakra

मिट्टी के मानव के घर में,


किलकारी भरता जीवन है,


मिट्टी के मानव के घर में,


शोकाकुल मृत्यु क्रन्दन है |



बसंती बाग़-बगीचों में,


पुलकित पुष्पों का जमघट है,


पतझड़ की उस फुलवारी में,


सूखे पत्तों का दर्शन है |



ऊँचे तरुवर के फल का,


नीचे गिरना निश्चित है,


उतार-चढ़ाव जीत-हार जग के,


सौंदर्य के आभूषण हैं |



माया की क्रीड़ा तो देखो,


स्थिर स्थूल केवल परिवर्तन है,


दुःख की रैन के बाद ही,


सुख के दिनकर का वंदन है ||

राम आए हैं