मैं एक भारतीय हूँ | मैं हिंदी में कविता लिखता हूँ | यह ब्लॉग मेरे मन के भावों को सदृश्य करने की मेरी एक कोशिश है | आशा करता हूँ मेरी रचनाएँ आपको रुचिकर लगें |
दिसंबर 13, 2020
दिसंबर 06, 2020
जीवनचक्र
मिट्टी के मानव के घर में,
किलकारी भरता जीवन है,
मिट्टी के मानव के घर में,
शोकाकुल मृत्यु क्रन्दन है |
बसंती बाग़-बगीचों में,
पुलकित पुष्पों का जमघट है,
पतझड़ की उस फुलवारी में,
सूखे पत्तों का दर्शन है |
ऊँचे तरुवर के फल का,
नीचे गिरना निश्चित है,
उतार-चढ़ाव जीत-हार जग के,
सौंदर्य के आभूषण हैं |
माया की क्रीड़ा तो देखो,
स्थिर स्थूल केवल परिवर्तन है,
दुःख की रैन के बाद ही,
सुख के दिनकर का वंदन है ||
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