एक आम भारतीय क्या सोचता है? क्या अनुभव करता है? उसके विचारों की सरिता का उद्गम किस पर्वतमाला से होता है और यह प्रवाह अंत में किस सागर को अलंकृत करता है?
मन के भाव उन्हीं विचारों को, स्वप्नों को, आशाओं निराशाओं को, संघर्षों सफलताओं को, दिन-प्रतिदिन की विपदाओं को, शब्दों की सहायता से चंद पंक्तियों में प्रकट करने का प्रयत्न करता है | यह उत्कृष्ट एवं नई कविताओं का संकलन है | इस ब्लॉग के माध्यम से मैं हिंदी काव्य को बढ़ावा देने और हिंदी साहित्य में नगण्य सा योगदान देने की भी चेष्टा करता हूँ |
अगस्त 20, 2020
क्यों है मानव इतना अधीर ?
अगस्त 15, 2020
आओ करें हम याद उन्हें
श्रावण के महीने में इक दिन,
बही थी आज़ादी की बयार,
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को,
बरसी स्वतंत्रता की फुहार |
रवि खिला था रैन घनी में,
दशकों के श्रम का परिणाम,
आओ करें हम याद उन्हें जो,
भेंट चढ़े थे राष्ट्र के नाम ||
सदस्यता लें
संदेश (Atom)