सकारात्मक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सकारात्मक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

अगस्त 23, 2023

चंद्रयान 3 की कामयाबी

हिंदी कविता Hindi Kavita चंद्रयान 3 की कामयाबी Chandrayaan 3 ki Kaamyabi

रोशन ये रात है,


अँधेरा गुमशुदा है,


भारत की प्रगति का सूर्य


चाँद पर जो उगा है ||

जुलाई 04, 2023

बहुत दिनों बाद

हिंदी कविता Hindi Kavita बहुत दिनों बाद Bahut Dino Baad

बहुत दिनों बाद ऐसी सुबह आई है,


ना रंज है, ना गम है, ना रुसवाई है,


काली लंबी अंधेरी रात हमने बिताई है,


आशा की तपन ने हर पीड़ा मिटाई है ||

जून 08, 2023

यकीन

हिंदी कविता Hindi Kavita यकीन Yakeen

ज़िंदगी के अफ़साने में राहों की कमी नहीं,


इक कदम यकीन से ज़रा उठा के देखिए ||

मई 07, 2023

प्रेरक अल्फाज़

हिंदी कविता Hindi Kavita प्रेरक अल्फाज़ Prerak Alfaz

हमने हवाओं में बहना नहीं, हवाओं सा बहना सीखा है,



हमने तकदीरों से लड़ना नहीं, तकदीरें बदलना सीखा है ||

अप्रैल 08, 2023

कितने सुंदर होते हैं फ़ूल !

हिंदी कविता Hindi Kavita कितने सुंदर होते हैं फ़ूल Kitne sundar hote hain Phool


कितने सुंदर होते हैं फ़ूल !


रंगों भरे,


आशाओं भरे,


केवल खुशियाँ देते हैं,


औरों की ख़ातिर जीते हैं,


परिवेश को महकाकर,


चुपके से गुम हो जाते हैं |||

मार्च 31, 2023

उपवन

हिंदी कविता Hindi Kavita उपवन Upvan


रोज़ की घुड़दौड़ से, थोड़ा समय बचाकर,


व्यर्थ की आपाधापी से, नज़रें ज़रा चुराकर,


इक दिन फुर्सत पाकर मैं, इक उपवन को चला |



मंद शीतल वायु थी वहाँ खुशबू से भरी,


क्यारियों में सज रही थीं फ़ूलों की लड़ी,


कदम-कदम पर सूखे पत्ते चरचराते थे,


डाली-डाली नभचर बैठे चहचहाते थे,


जब भी पवन का हल्का सा झोंका आता था,


रंगबिरंगा तरुवर पुष्पों को बरसाता था,


कोंपलों ने नवजीवन का गीत सुनाया,


भंवरों की गुंजन ने पीड़ित चित्त को बहलाया |



रोज़ की आपाधापी से मुझे फुर्सत की दरकार क्यों ?


जीवन में ले आता हूँ मैं पतझड़ की बयार क्यों ?


भीतर झाँका पाया सदा मन-उपवन में बहार है |||

मार्च 23, 2023

बहार

हिंदी कविता Hindi Kavita बहार Bahaar

मृत गोचर हो रहे पादपों पर,


कोंपलों की सज रही कतारें हैं,


अलसुबह शबनमी उपवनों में,


भ्रमरों की सुमधुर गुंजारें हैं,


मंद-मंद लहलहाती कलियों से,


गुलशनों में छा रही गुलज़ारें हैं,


टहनियों पर चहचहाते पंछी कहें,


देखो-देखो आ गई बहारें हैं |||

मार्च 04, 2023

बसंत

हिंदी कविता Hindi Kavita बसंत Basant

सुंदर सुमनों की सुगंध समीर में समाई है,


बैकुंठी बयार बही है, बसंती ऋतु आई है ||

फ़रवरी 03, 2023

तेरी मुस्कान

हिंदी कविता Hindi Kavita तेरी मुस्कान Teri Muskaan

सहस्त्र पुष्पों से सुंदर है,


तेरी मुस्कान |



बरखा की बूंदों सी निर्मल है,


तेरी मुस्कान |



कभी संकट का बिगुल है,


तेरी मुस्कान |



कभी खुशियों की लहर है,


तेरी मुस्कान |



नन्हे बालक सी चंचल है,


तेरी मुस्कान |



दिल की पीड़ा का हरण है,


तेरी मुस्कान |



मुश्किल दिनों का तारण है,


तेरी मुस्कान |



हताशा में आशा की किरण है,


तेरी मुस्कान |



बढ़ते कदमों की ताकत है,


तेरी मुस्कान |



मेरी सुबह का सूरज है,


तेरी मुस्कान ||




जनवरी 24, 2023

चौपाल का बरगद

हिंदी कविता Hindi Kavita चौपाल का बरगद Chaupal ka Bargad

दादा मेरे कहते थे –


जब गाँव में सड़कें ना थीं,


ना पानी था ना बिजली थी,


तब भी गुमसुम इन राहों पर,


गाँव के बीच चौपाल पर,


एक अतिविशाल बरगद था |



बरगद की शीतल छाया में,


पंचायत बैठा करती थी,


गाँव समाया करता था,


बच्चे भी खेला करते थे,


सावन में झूले सजते थे,


हलचल का केंद्र वो बरगद था |



बरगद की असंख्य भुजाओं पर,


कोयलें कूका करती थीं,


गिलहरियाँ फुदकतीं थीं,


मुसाफ़िर छाया पाते थे,


दिन में वहीं सुस्ताते थे,


जटाओं भरा वो बरगद था |



गाँव में अब मैं रहता हूँ,


लकड़ी लेकर मैं चलता हूँ,


गुमसुम सी उन्हीं राहों पर,


गाँव के बीच चौपाल पर,


पोते को अपने कहता हूँ –


देखो यह वो ही बरगद है ||

जनवरी 01, 2023

2023 का स्वागत

हिंदी कविता Hindi Kavita 2023 का स्वागत 2023 ka Swagat

नूतन रवि उदित हुआ है,


समस्त तमस मिटाने को,


हठ से कदम बढ़ाने को,


मंज़िल तक बढ़ते जाने को ||

दिसंबर 09, 2022

धारा का पेड़

हिंदी कविता Hindi Kavita धारा का पेड़ Dhaare ka ped

एक बार मैंने देखा


बरसाती नदी के बहाव में


एक पेड़ खड़ा था,


जैसे कुरुक्षेत्र की भूमि पर


अपने नातेदारों से


अभिमन्यु लड़ा था |



विपरीत परिस्तिथियों से


धारा के प्रचंड प्रवाह से


किंचित न डरा था,


घोंसले में बैठे चंद


पंछियों को बारिश से


वो अकेला आसरा था |



विपत्तियों की बाढ़ में


टूट कर बिखरा नहीं


अपितु अधिक हरा था,


अगले साल मैंने देखा


सावन के महीने में फ़िर


वो पेड़, वहीं खड़ा था ||

नवंबर 20, 2022

जीवनमंत्र

हिंदी कविता Hindi Kavita जीवनमंत्र Jeevanmantra

हँसते रहने की खातिर ही मैं यह जीवन जीता हूँ,



ज़िंदा रहने की खातिर ही थोड़ा-थोड़ा हँसता हूँ ||

नवंबर 14, 2022

जब हम छोटे बच्चे थे

हिंदी कविता Hindi Kavita जब हम छोटे बच्चे थे Jab hum chote bachche the

जब हम छोटे बच्चे थे,


मम्मी-मम्मी करते थे,


साईकल पर निकलते थे,


अक्सर झगड़ा करते थे,


थोड़ा-थोड़ा पढ़ते थे,


अधिक शरारत करते थे,


पापा से बड़ा डरते थे,


तितली पकड़ा करते थे,


बिन पंखों के उड़ते थे,


जब हम छोटे बच्चे थे ||


अक्तूबर 05, 2022

आओ दशहरा मनाएं

हिंदी कविता Hindi Kavita आओ दशहरा मनाएं Aao Dussehra manaayen

कागज़ का पुतला जलाकर,


सदियों की प्रथा निभाकर,


उत्सव हमने मनाया |



भीतर का रावण जलाकर,


राम की सीखें अपनाकर,


आओ दशहरा मनाएं ||


सितंबर 19, 2022

तेरी आँखों का समंदर

हिंदी कविता Hindi Kavita तेरी आँखों का समंदर Teri Aankhon ka samundar


तेरी आँखों के समंदर में डूब जाने को जी करता है,


तेरे नैनों के तीरों से मर जाने को जी करता है ||

अगस्त 30, 2022

सुख करता, दुखहर्ता का हिंदी अनुवाद

हिंदी कविता Hindi Kavita सुख करता, दुखहर्ता का हिंदी अनुवाद Sukh karta dukhharta ka Hindi Anuvaad


सुख दाता दुःख हरता विघ्न विनाशक,


कृपासागर रिद्धि-सिद्धिदायक,


सर्वांगीण सुंदर केसरिया विनायक,


कंठ मोतियन की माला धारक,


जय देव, जय देव,


जय देव, जय देव जय मंगल मूरत,


जय मंगल मूरत,


दर्शन मात्र से मनोकामना पूरक |


जय देव, जय देव ||



रत्नजड़ित मुकुट प्रभु चढ़ाऊं,


चन्दन कुमकुम केसर टीका लगाऊं,


हीरों का मुकुट शोभा बढ़ाए,


पायल की रुनझुन मन को सुहाए,


जय देव, जय देव,


जय देव, जय देव जय मंगल मूरत,


जय मंगल मूरत,


दर्शन मात्र से मनोकामना पूरक |


जय देव, जय देव ||



लंबोदर पीतांबर कष्ट निवारक,


वक्रतुंड त्रिनेत्र धारक,


दास के सदन में प्रभु पधारो,


रक्षा करो भक्त वंदन करें सब संकट निवारो,


जय देव, जय देव,


जय देव, जय देव जय मंगल मूरत,


जय मंगल मूरत,


दर्शन मात्र से मनोकामना पूरक |


जय देव, जय देव ||

अगस्त 26, 2022

जीवन की किताब

हिंदी कविता Hindi Kavita जीवन की किताब Jeevan ki Kitaab

इक दिन फुर्सत के क्षणों में,


तन्हा-तन्हा से पलों में,


मैंने मन में झाँककर,


जीवन की किताब खोली |



पहले पन्ने पर दर्ज था,


बड़ा-बड़ा सा अर्ज़ था,


मेरा परिचय, मेरी पहचान,


माँ-बाबा का दिया वो नाम,


जो जीवन का अंग था,


हर किस्से के संग था |



पन्ना-पन्ना मैं बढ़ता गया,


किस्से-कथाएं पढ़ता गया,


कुछ अफ़साने खुशी के थे,


कुछ नीरस से दुःखी से थे,


थोड़ी आशा-निराशा थीं,


कुछ अधूरी अभिलाषा थीं,


कहीं जीत थी कहीं हार थी,


कहीं किस्मत की पतवार थी,


कभी बरखा थी बहार थी,


कभी पतझड़ की बयार थी |



एक विपदाओं की बाढ़ थी,


और ओलों की बौछार थी,


रस्ते पर खड़ी दीवार थी,


लेकिन संग में तलवार थी,


श्रम-संयम जिसकी धार थी,


फ़िर पल में नौका पार थी,


कुछ लाभ था कुछ हानि थी,


ऐसी ढेरों कहानी थीं |



अंतिम कुछ पन्ने कोरे थे,


ना ज़्यादा थे ना थोड़े थे,


कुछ मीठे पल अभी जीने हैं,


कुछ कड़वे घूँट भी पीने हैं,


मैंने कल में झाँककर,


यादों की झोली टटोली ||

अगस्त 11, 2022

राखी

हिंदी कविता Hindi Kavita राखी Rakhi

रेशम की डोर नहीं,


प्रेम का धागा है राखी,


कष्टों में भी साथ का,


आजीवन वादा है राखी ||


अगस्त 06, 2022

जब काला बादल छाता है

हिंदी कविता Hindi Kavita जब काला बादल छाता है Jab kaala badal chata hai

नीले वीरान उस अम्बर पर,


सविता के तेज़ के परचम पर,


जब काला बादल छाता है,


बरखा का मौसम आता है |



विकट सघन उस कानन पर,


कुदरत के मृदु दामन पर,


जब काला बादल छाता है,


मयूर पंख फैलाता है |



नित्य सिकुड़ते पोखर पर,


दरिया के अवशेषों पर,


जब काला बादल छाता है,


पोखर धारा हो जाता है |



शुष्क दरकती वसुधा पर,


रेती पत्थर या माटी पर,


जब काला बादल छाता है,


नवजीवन प्रारंभ पाता है ||

राम आए हैं