हिंदी कविता Hindi Kavita जीवन की किताब Jeevan ki Kitaab VIDEO
इक दिन फुर्सत के क्षणों में,
तन्हा-तन्हा से पलों में,
मैंने मन में झाँककर,
जीवन की किताब खोली |
पहले पन्ने पर दर्ज था,
बड़ा-बड़ा सा अर्ज़ था,
मेरा परिचय, मेरी पहचान,
माँ-बाबा का दिया वो नाम,
जो जीवन का अंग था,
हर किस्से के संग था |
पन्ना-पन्ना मैं बढ़ता गया,
किस्से-कथाएं पढ़ता गया,
कुछ अफ़साने खुशी के थे,
कुछ नीरस से दुःखी से थे,
थोड़ी आशा-निराशा थीं,
कुछ अधूरी अभिलाषा थीं,
कहीं जीत थी कहीं हार थी,
कहीं किस्मत की पतवार थी,
कभी बरखा थी बहार थी,
कभी पतझड़ की बयार थी |
एक विपदाओं की बाढ़ थी,
और ओलों की बौछार थी,
रस्ते पर खड़ी दीवार थी,
लेकिन संग में तलवार थी,
श्रम-संयम जिसकी धार थी,
फ़िर पल में नौका पार थी,
कुछ लाभ था कुछ हानि थी,
ऐसी ढेरों कहानी थीं |
अंतिम कुछ पन्ने कोरे थे,
ना ज़्यादा थे ना थोड़े थे,
कुछ मीठे पल अभी जीने हैं,
कुछ कड़वे घूँट भी पीने हैं,
मैंने कल में झाँककर,
यादों की झोली टटोली ||
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