अगस्त 06, 2022

जब काला बादल छाता है

हिंदी कविता Hindi Kavita जब काला बादल छाता है Jab kaala badal chata hai

नीले वीरान उस अम्बर पर,


सविता के तेज़ के परचम पर,


जब काला बादल छाता है,


बरखा का मौसम आता है |



विकट सघन उस कानन पर,


कुदरत के मृदु दामन पर,


जब काला बादल छाता है,


मयूर पंख फैलाता है |



नित्य सिकुड़ते पोखर पर,


दरिया के अवशेषों पर,


जब काला बादल छाता है,


पोखर धारा हो जाता है |



शुष्क दरकती वसुधा पर,


रेती पत्थर या माटी पर,


जब काला बादल छाता है,


नवजीवन प्रारंभ पाता है ||

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