अगस्त 13, 2022

ऐ वतन, तेरे लिए

हिंदी कविता Hindi Kavita ऐ वतन तेरे लिए Ae watan tere liye

मस्तक की बूंदों से मैंने,


सींची है तेरी ज़मीन,


मस्तक की सारी बूँदें हैं,


ऐ वतन, तेरे लिए |



लहू की बूंदों से मैंने,


खींची है तेरी सरहद,


रक्त का अंतिम कतरा भी,


ऐ वतन, तेरे लिए |



माथे की लाली को मैंने,


किया तुझपर कुर्बान,


कोख का बालक भी मेरा,


ऐ वतन, तेरे लिए |



वक्त के लम्हों को मैंने,


तेरी सेवा में बिताया,


हर पल हर श्वास मेरी,


ऐ वतन, तेरे लिए ||


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