मार्च 31, 2023

उपवन

हिंदी कविता Hindi Kavita उपवन Upvan


रोज़ की घुड़दौड़ से, थोड़ा समय बचाकर,


व्यर्थ की आपाधापी से, नज़रें ज़रा चुराकर,


इक दिन फुर्सत पाकर मैं, इक उपवन को चला |



मंद शीतल वायु थी वहाँ खुशबू से भरी,


क्यारियों में सज रही थीं फ़ूलों की लड़ी,


कदम-कदम पर सूखे पत्ते चरचराते थे,


डाली-डाली नभचर बैठे चहचहाते थे,


जब भी पवन का हल्का सा झोंका आता था,


रंगबिरंगा तरुवर पुष्पों को बरसाता था,


कोंपलों ने नवजीवन का गीत सुनाया,


भंवरों की गुंजन ने पीड़ित चित्त को बहलाया |



रोज़ की आपाधापी से मुझे फुर्सत की दरकार क्यों ?


जीवन में ले आता हूँ मैं पतझड़ की बयार क्यों ?


भीतर झाँका पाया सदा मन-उपवन में बहार है |||

मार्च 23, 2023

बहार

हिंदी कविता Hindi Kavita बहार Bahaar

मृत गोचर हो रहे पादपों पर,


कोंपलों की सज रही कतारें हैं,


अलसुबह शबनमी उपवनों में,


भ्रमरों की सुमधुर गुंजारें हैं,


मंद-मंद लहलहाती कलियों से,


गुलशनों में छा रही गुलज़ारें हैं,


टहनियों पर चहचहाते पंछी कहें,


देखो-देखो आ गई बहारें हैं |||

मार्च 08, 2023

नारी के नाना रंग

हिंदी कविता Hindi Kavita नारी के नाना रंग Naari ke nana rang

कभी शक्ति का रंग,


कभी सेवा का,


कभी भगिनी का रंग,


कभी भार्या का,


कभी सुता का,


कभी माता का,


कभी प्रेम का,


कभी क्रोध का,


कभी जीत का,


कभी हार का,


कभी धीरज का,


कभी बेसब्री का,


कभी आज़ादी का,


कभी दासता का,


कभी देवी का,


कभी मजबूरी का,


होली में उल्लास के उड़ते नाना रंगों से भी,


ज़्यादा रंगों से रंगा अस्तित्व है नारी का |||

मार्च 04, 2023

बसंत

हिंदी कविता Hindi Kavita बसंत Basant

सुंदर सुमनों की सुगंध समीर में समाई है,


बैकुंठी बयार बही है, बसंती ऋतु आई है ||

राम आए हैं