दिसंबर 09, 2022

धारा का पेड़

हिंदी कविता Hindi Kavita धारा का पेड़ Dhaare ka ped

एक बार मैंने देखा


बरसाती नदी के बहाव में


एक पेड़ खड़ा था,


जैसे कुरुक्षेत्र की भूमि पर


अपने नातेदारों से


अभिमन्यु लड़ा था |



विपरीत परिस्तिथियों से


धारा के प्रचंड प्रवाह से


किंचित न डरा था,


घोंसले में बैठे चंद


पंछियों को बारिश से


वो अकेला आसरा था |



विपत्तियों की बाढ़ में


टूट कर बिखरा नहीं


अपितु अधिक हरा था,


अगले साल मैंने देखा


सावन के महीने में फ़िर


वो पेड़, वहीं खड़ा था ||

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