सितंबर 12, 2021

काश! तितली बन जाऊँ !

हिंदी कविता Hindi Kavita काश तितली बन जाऊँ Kaash Titli ban jaaun

नन्हे-नन्हे पर हों मेरे,


फूलों पर मैं मंडराऊँ,


रंगों का पर्याय बनूँ मैं,


कीट कभी ना कहलाऊँ,


सोचा करता हूँ अक्सर मैं,


काश! तितली बन जाऊँ !



जनम भले ही जैसा भी हो,


गाथा अपनी खुद लिख पाऊँ,


पिंजरे को तोड़ मैं इक दिन,


पंख फैला कर उड़ जाऊँ,


सोचा करता हूँ अक्सर मैं,


काश! तितली बन जाऊँ !



अंधड़ में बहकर भी मैं बस,


सुंदरता ही फैलाऊँ,


दो क्षण ही अस्तित्व अगर हो,


जीवनभर बस मुस्काऊँ,


सोचा करता हूँ अक्सर मैं,


काश! तितली बन जाऊँ !!

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