फ़रवरी 03, 2021

कोरोना के अनुभव

हिंदी कविता Hindi Kavita कोरोना के अनुभव Corona ke anubhav

चंद हफ़्तों पहले मेरा सामना कोरोना से हुआ | अपने अनुभव को शब्दों में ढालने का एक प्रयत्न किया है |



अपने घर का सुदूर कोना,


नीरस मटमैला बिछौना,


विचरण की आज़ादी खोना,


अपने बर्तन खुद ही धोना,


गली-मौहल्ले में कुख्यात होना,


कि आप लाए हो कोरोना |



परस्पर दूरी का परिहास,


खुले मुँह लेते थे जो श्वास,


करते हैं अब यह विश्वास,


बसता रोग इन्हीं के पास,


रखना दूरी इनसे खास,


बाकी सब सावधानियाँ बकवास |



तन के कष्टों से ज़्यादा,


मन की पीड़ा थी चुभती,


अपनी सेहत से ज़्यादा,


अपनों की व्यथा थी दीखती,


रोगी सा एहसास ना होता,


बंधक सी अनुभूति रहती |



जीवन के सागर की ऊँची,


लहरों को मैंने पार किया,


लेकिन मेरे जैसे जाने,


कितनों को इसने मार दिया,


शोषण से त्रस्त होकर शायद,


कुदरत ने ऐसा वार किया ||

जनवरी 22, 2021

मन के भाव

हिंदी कविता Hindi Kavita मन के भाव Mann ke Bhaav

इस कोरे-कोरे पन्ने पर,


शब्दों के काले धब्बों से,


मन के भावों को अर्पित कर,


रंगों का बाग बसाता हूँ |



इस कोरे-कोरे जीवन में,


हताशा के गहरे तिमिर में,


विश्वास के क़दम बढ़ा,


आशा का दीप जलाता हूँ ||

जनवरी 04, 2021

नववर्ष की शुभकामनाएँ

हिंदी कविता Hindi Kavita नववर्ष की शुभकामनाएँ Navvarsh ki Shubhkaamnayein

कष्टों की काली रात में,


गुज़रा यह पूरा साल था,


कष्टों से मुक्ति की सुबह,


आशा है 21 संग लाए ||

दिसंबर 13, 2020

काश मैं पंछी होता

हिंदी कविता Hindi Kavita काश मैं पंछी होता Kaash main Panchi hota

काश मैं पंछी होता,


सुबह-सवेरे नित दिन उठता,


अन्न-फ़ल-दाना-कण चुगता,


खुले गगन में स्वच्छंद फिरता,


दरख्तों की टहनियों पर विचरता,


तिनकों से अपना घर बुनता,


हरी हरी आँचल में बसता |



काश मैं पंछी होता,


सरहद की न बंदिश होती,


आपस में न रंजिश होती,


व्यर्थ की चिंता ना करता,


कंचन के पीछे ना पड़ता,


भूत का ना बोझ ढोता,


कल के कष्टों से कल लड़ता |



काश मैं पंछी होता,


प्रकृति का मैं अंग होता,


उसके नियमों संग होता,


वृक्षों पर जीवन बसाता,


जीवों की हानि ना करता,


पृथ्वी को पावन मैं रखता,


निष्कलंक निष्पाप मैं रहता ||

दिसंबर 06, 2020

जीवनचक्र

हिंदी कविता Hindi Kavita जीवनचक्र Jeevanchakra

मिट्टी के मानव के घर में,


किलकारी भरता जीवन है,


मिट्टी के मानव के घर में,


शोकाकुल मृत्यु क्रन्दन है |



बसंती बाग़-बगीचों में,


पुलकित पुष्पों का जमघट है,


पतझड़ की उस फुलवारी में,


सूखे पत्तों का दर्शन है |



ऊँचे तरुवर के फल का,


नीचे गिरना निश्चित है,


उतार-चढ़ाव जीत-हार जग के,


सौंदर्य के आभूषण हैं |



माया की क्रीड़ा तो देखो,


स्थिर स्थूल केवल परिवर्तन है,


दुःख की रैन के बाद ही,


सुख के दिनकर का वंदन है ||

नवंबर 28, 2020

बेमतलब है

हिंदी कविता Hindi Kavita बेमतलब है Bematlab hai

मतलब की सारी दुनिया है,


मतलब के सारे रिश्ते हैं,


जिसको मेरी कदर नहीं,


उससे रिश्ता बेमतलब है |



सबके अपने मसले हैं,


सबके अपने मंसूबे हैं,


मन के बहरों से क्या बोलूं,


कुछ भी कहना बेमतलब है |



जीते-जी जीना ना जाना,


कल के जीवन पर पछताना,


हालात बदलने से कतराना,


ऐसा जीवन बेमतलब है ||

नवंबर 23, 2020

कविता क्या है ?

हिंदी कविता Hindi Kavita कविता क्या है ? Kavita kya hai ?

दिनकर के वंदन में कलरव,


पवन के झोंके में पल्लव,


पुष्पों पर भँवरों का गुंजन,


नभ पर मेघों का गर्जन |



वन में कुलाँचते सारंग,


अम्बर पर अलंकृत सतरंग,


सागर की लहरों की तरंग,


उत्सव में बजता मृदंग |



पन्ने पर लिखा कोई गीत,


कर्णप्रिय मधुरम संगीत,


जीवन का हर वो पल,


जो बीते संग मनमीत ||

राम आए हैं