फ़रवरी 03, 2021

कोरोना के अनुभव

हिंदी कविता Hindi Kavita कोरोना के अनुभव Corona ke anubhav

चंद हफ़्तों पहले मेरा सामना कोरोना से हुआ | अपने अनुभव को शब्दों में ढालने का एक प्रयत्न किया है |



अपने घर का सुदूर कोना,


नीरस मटमैला बिछौना,


विचरण की आज़ादी खोना,


अपने बर्तन खुद ही धोना,


गली-मौहल्ले में कुख्यात होना,


कि आप लाए हो कोरोना |



परस्पर दूरी का परिहास,


खुले मुँह लेते थे जो श्वास,


करते हैं अब यह विश्वास,


बसता रोग इन्हीं के पास,


रखना दूरी इनसे खास,


बाकी सब सावधानियाँ बकवास |



तन के कष्टों से ज़्यादा,


मन की पीड़ा थी चुभती,


अपनी सेहत से ज़्यादा,


अपनों की व्यथा थी दीखती,


रोगी सा एहसास ना होता,


बंधक सी अनुभूति रहती |



जीवन के सागर की ऊँची,


लहरों को मैंने पार किया,


लेकिन मेरे जैसे जाने,


कितनों को इसने मार दिया,


शोषण से त्रस्त होकर शायद,


कुदरत ने ऐसा वार किया ||

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राम आए हैं