जनवरी 20, 2020

माया

हिंदी कविता Hindi Kavita माया Maaya

धन की क्या आवश्यकता है? धन सिर्फ एक छलावा है | मोह है | माया है | सत्य की परछाईं मात्र है, जो सिर्फ अंधकार में दिखाई पड़ती है | उजाले में इसका कोई अस्तित्व नहीं | धन सब परेशानियों की जड़ है | सब अपराधों की जननी है | सब व्यसनों का आरम्भ है |


कुदरत ने सब जीव बनाए,

पशु पक्षी मत्स्य तरु,

जल भूमि गिरी आकाश,

कंद मूल फल फूल खिलाए,

अंधकार से दिया प्रकाश ||


पर मनुष्य, तूने क्या दिया?


लोभ मोह दंभ अहंकार,

भेदभाव ऊँच-नीच तकरार !

धन को सर्वोपरि बनाया,

धनी निर्धन में भेद कराया,

माया के इस पाश में फंसकर,

कुदरत को तू समझ न पाया ||

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