मई 14, 2023

मातृ दिवस 2023

हिंदी कविता Hindi Kavita प्रेरक अल्फाज़ मातृ दिवस 2023 Maatri Divas 2023

दादा कहते हैं अब मुझको,


लाठी लेकर चलता हूँ,


तेरे आँचल को माँ अब भी,


बच्चे सा मचलता हूँ |||


मई 07, 2023

प्रेरक अल्फाज़

हिंदी कविता Hindi Kavita प्रेरक अल्फाज़ Prerak Alfaz

हमने हवाओं में बहना नहीं, हवाओं सा बहना सीखा है,



हमने तकदीरों से लड़ना नहीं, तकदीरें बदलना सीखा है ||

मई 02, 2023

भूरे पत्ते

हिंदी कविता Hindi Kavita भूरे पत्ते Bhoore patte

डाली से टूटकर,


जीवन से छूटकर,


अंतिम क्षणों में सूखे पत्ते ने सोचा –


मैंने क्या खोया ? क्या पाया ?


अहम को क्यों था अपनाया ?


भूरा होकर अब जाता हूँ,


भूरा ही तो मैं था आया !!!

अप्रैल 08, 2023

कितने सुंदर होते हैं फ़ूल !

हिंदी कविता Hindi Kavita कितने सुंदर होते हैं फ़ूल Kitne sundar hote hain Phool


कितने सुंदर होते हैं फ़ूल !


रंगों भरे,


आशाओं भरे,


केवल खुशियाँ देते हैं,


औरों की ख़ातिर जीते हैं,


परिवेश को महकाकर,


चुपके से गुम हो जाते हैं |||

मार्च 31, 2023

उपवन

हिंदी कविता Hindi Kavita उपवन Upvan


रोज़ की घुड़दौड़ से, थोड़ा समय बचाकर,


व्यर्थ की आपाधापी से, नज़रें ज़रा चुराकर,


इक दिन फुर्सत पाकर मैं, इक उपवन को चला |



मंद शीतल वायु थी वहाँ खुशबू से भरी,


क्यारियों में सज रही थीं फ़ूलों की लड़ी,


कदम-कदम पर सूखे पत्ते चरचराते थे,


डाली-डाली नभचर बैठे चहचहाते थे,


जब भी पवन का हल्का सा झोंका आता था,


रंगबिरंगा तरुवर पुष्पों को बरसाता था,


कोंपलों ने नवजीवन का गीत सुनाया,


भंवरों की गुंजन ने पीड़ित चित्त को बहलाया |



रोज़ की आपाधापी से मुझे फुर्सत की दरकार क्यों ?


जीवन में ले आता हूँ मैं पतझड़ की बयार क्यों ?


भीतर झाँका पाया सदा मन-उपवन में बहार है |||

मार्च 23, 2023

बहार

हिंदी कविता Hindi Kavita बहार Bahaar

मृत गोचर हो रहे पादपों पर,


कोंपलों की सज रही कतारें हैं,


अलसुबह शबनमी उपवनों में,


भ्रमरों की सुमधुर गुंजारें हैं,


मंद-मंद लहलहाती कलियों से,


गुलशनों में छा रही गुलज़ारें हैं,


टहनियों पर चहचहाते पंछी कहें,


देखो-देखो आ गई बहारें हैं |||

मार्च 08, 2023

नारी के नाना रंग

हिंदी कविता Hindi Kavita नारी के नाना रंग Naari ke nana rang

कभी शक्ति का रंग,


कभी सेवा का,


कभी भगिनी का रंग,


कभी भार्या का,


कभी सुता का,


कभी माता का,


कभी प्रेम का,


कभी क्रोध का,


कभी जीत का,


कभी हार का,


कभी धीरज का,


कभी बेसब्री का,


कभी आज़ादी का,


कभी दासता का,


कभी देवी का,


कभी मजबूरी का,


होली में उल्लास के उड़ते नाना रंगों से भी,


ज़्यादा रंगों से रंगा अस्तित्व है नारी का |||

राम आए हैं