फ़रवरी 13, 2021

पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!

हिंदी कविता Hindi Kavita पप्पू, तेरे बस की कहाँ Pappu tere bas ki kahan

ना मैं भक्त हूँ, ना ही आंदोलनजीवी, ना ही किसी और गुट का सदस्य । मेरी मंशा किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने की नहीं है । बस कुनबापरस्ती पर एक व्यंग है । पढ़ें और आनन्द लें । ज़्यादा ना सोचें ।



अचकन पर गुलाब सजाना,


बच्चों का चाचा कहलाना,


सहयोगियों संग मिलजुल कर,


तिनकों से इक राष्ट्र बनाना,


पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!



वैरी को धूल चटाना,


दुर्गा सदृश कहलाना,


अभूतपूर्व पराजय से उबरकर,


फिर एक बार सरकार बनाना,


पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!



युवावस्था में पद संभालना,


उत्तरदायित्व से ना सकुचाना,


बाघों से सीधे टकराना,


डिज़िटाइज़ेशन की नींव रख जाना,


पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!



मन की आवाज़ सुन पाना,


सर्वोच्च पद को ठुकराना,


तूफानी समंदर की लहरों में,


डूबती कश्ती को चलाना,


पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!



कड़े-कठोर निर्णय ले पाना,


पर-सिद्धि को अपना बताना,


शत्रु की मांद में घुसकर,


शत्रु का संहार कराना,


पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!



जनमानस का नेता बन जाना,


भविष्य का विकल्प कहलाना,


लिखा हुआ भाषण दोहराना,


अरे आलू से सोना बनाना,


पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!

फ़रवरी 04, 2021

कोरोना वैक्सीन

हिंदी कविता Hindi Kavita कोरोना वैक्सीन Corona Vaccine

क्षितिज पर छाई है लाली,


लाई सुबह का संदेसा,


घर से बाहर फिर निकलेंगे,


खाने चाट और समौसा,


तब तक लेकिन रखना होगा,


परस्पर दूरी पर ही भरोसा ||

फ़रवरी 03, 2021

कोरोना के अनुभव

हिंदी कविता Hindi Kavita कोरोना के अनुभव Corona ke anubhav

चंद हफ़्तों पहले मेरा सामना कोरोना से हुआ | अपने अनुभव को शब्दों में ढालने का एक प्रयत्न किया है |



अपने घर का सुदूर कोना,


नीरस मटमैला बिछौना,


विचरण की आज़ादी खोना,


अपने बर्तन खुद ही धोना,


गली-मौहल्ले में कुख्यात होना,


कि आप लाए हो कोरोना |



परस्पर दूरी का परिहास,


खुले मुँह लेते थे जो श्वास,


करते हैं अब यह विश्वास,


बसता रोग इन्हीं के पास,


रखना दूरी इनसे खास,


बाकी सब सावधानियाँ बकवास |



तन के कष्टों से ज़्यादा,


मन की पीड़ा थी चुभती,


अपनी सेहत से ज़्यादा,


अपनों की व्यथा थी दीखती,


रोगी सा एहसास ना होता,


बंधक सी अनुभूति रहती |



जीवन के सागर की ऊँची,


लहरों को मैंने पार किया,


लेकिन मेरे जैसे जाने,


कितनों को इसने मार दिया,


शोषण से त्रस्त होकर शायद,


कुदरत ने ऐसा वार किया ||

जनवरी 22, 2021

मन के भाव

हिंदी कविता Hindi Kavita मन के भाव Mann ke Bhaav

इस कोरे-कोरे पन्ने पर,


शब्दों के काले धब्बों से,


मन के भावों को अर्पित कर,


रंगों का बाग बसाता हूँ |



इस कोरे-कोरे जीवन में,


हताशा के गहरे तिमिर में,


विश्वास के क़दम बढ़ा,


आशा का दीप जलाता हूँ ||

जनवरी 04, 2021

नववर्ष की शुभकामनाएँ

हिंदी कविता Hindi Kavita नववर्ष की शुभकामनाएँ Navvarsh ki Shubhkaamnayein

कष्टों की काली रात में,


गुज़रा यह पूरा साल था,


कष्टों से मुक्ति की सुबह,


आशा है 21 संग लाए ||

दिसंबर 13, 2020

काश मैं पंछी होता

हिंदी कविता Hindi Kavita काश मैं पंछी होता Kaash main Panchi hota

काश मैं पंछी होता,


सुबह-सवेरे नित दिन उठता,


अन्न-फ़ल-दाना-कण चुगता,


खुले गगन में स्वच्छंद फिरता,


दरख्तों की टहनियों पर विचरता,


तिनकों से अपना घर बुनता,


हरी हरी आँचल में बसता |



काश मैं पंछी होता,


सरहद की न बंदिश होती,


आपस में न रंजिश होती,


व्यर्थ की चिंता ना करता,


कंचन के पीछे ना पड़ता,


भूत का ना बोझ ढोता,


कल के कष्टों से कल लड़ता |



काश मैं पंछी होता,


प्रकृति का मैं अंग होता,


उसके नियमों संग होता,


वृक्षों पर जीवन बसाता,


जीवों की हानि ना करता,


पृथ्वी को पावन मैं रखता,


निष्कलंक निष्पाप मैं रहता ||

दिसंबर 06, 2020

जीवनचक्र

हिंदी कविता Hindi Kavita जीवनचक्र Jeevanchakra

मिट्टी के मानव के घर में,


किलकारी भरता जीवन है,


मिट्टी के मानव के घर में,


शोकाकुल मृत्यु क्रन्दन है |



बसंती बाग़-बगीचों में,


पुलकित पुष्पों का जमघट है,


पतझड़ की उस फुलवारी में,


सूखे पत्तों का दर्शन है |



ऊँचे तरुवर के फल का,


नीचे गिरना निश्चित है,


उतार-चढ़ाव जीत-हार जग के,


सौंदर्य के आभूषण हैं |



माया की क्रीड़ा तो देखो,


स्थिर स्थूल केवल परिवर्तन है,


दुःख की रैन के बाद ही,


सुख के दिनकर का वंदन है ||

राम आए हैं