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जनवरी 24, 2020
जनवरी 20, 2020
माया
धन की क्या आवश्यकता है? धन सिर्फ एक छलावा है | मोह है | माया है | सत्य की परछाईं मात्र है, जो सिर्फ अंधकार में दिखाई पड़ती है | उजाले में इसका कोई अस्तित्व नहीं | धन सब परेशानियों की जड़ है | सब अपराधों की जननी है | सब व्यसनों का आरम्भ है |
कुदरत ने सब जीव बनाए,
पशु पक्षी मत्स्य तरु,
जल भूमि गिरी आकाश,
कंद मूल फल फूल खिलाए,
अंधकार से दिया प्रकाश ||
पर मनुष्य, तूने क्या दिया?
लोभ मोह दंभ अहंकार,
भेदभाव ऊँच-नीच तकरार !
धन को सर्वोपरि बनाया,
धनी निर्धन में भेद कराया,
माया के इस पाश में फंसकर,
कुदरत को तू समझ न पाया ||
जनवरी 19, 2020
जीवन
जी ना चाहे जीना,
पर जीवन पड़ेगा जीना,
जीवन एक इंतज़ार है,
मृत्यु सत्य साकार है,
उस दिन का इंतज़ार है,
जब चढूँगा मौत का जीना ||
जनवरी 17, 2020
प्रेम
प्रेम से आनंद है,
प्रेम से ही है खुशी,
प्रेम से जीवन है,
प्रेम से है सुख की हंसी |
प्रेम नहीं तो क्या है,
क्रोध स्वार्थ अहंकार,
गर प्रेम मिट जाए कहीं,
तो छा जाता है अंधकार |
तू प्रेम भाव से देख ले,
तो छा जाती है रौशनी,
तू प्रेम भाव से बोल दे,
तो मिट जाए सारे गुबार ||
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