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जनवरी 22, 2021

मन के भाव

हिंदी कविता Hindi Kavita मन के भाव Mann ke Bhaav

इस कोरे-कोरे पन्ने पर,


शब्दों के काले धब्बों से,


मन के भावों को अर्पित कर,


रंगों का बाग बसाता हूँ |



इस कोरे-कोरे जीवन में,


हताशा के गहरे तिमिर में,


विश्वास के क़दम बढ़ा,


आशा का दीप जलाता हूँ ||

दिसंबर 13, 2020

काश मैं पंछी होता

हिंदी कविता Hindi Kavita काश मैं पंछी होता Kaash main Panchi hota

काश मैं पंछी होता,


सुबह-सवेरे नित दिन उठता,


अन्न-फ़ल-दाना-कण चुगता,


खुले गगन में स्वच्छंद फिरता,


दरख्तों की टहनियों पर विचरता,


तिनकों से अपना घर बुनता,


हरी हरी आँचल में बसता |



काश मैं पंछी होता,


सरहद की न बंदिश होती,


आपस में न रंजिश होती,


व्यर्थ की चिंता ना करता,


कंचन के पीछे ना पड़ता,


भूत का ना बोझ ढोता,


कल के कष्टों से कल लड़ता |



काश मैं पंछी होता,


प्रकृति का मैं अंग होता,


उसके नियमों संग होता,


वृक्षों पर जीवन बसाता,


जीवों की हानि ना करता,


पृथ्वी को पावन मैं रखता,


निष्कलंक निष्पाप मैं रहता ||

नवंबर 23, 2020

कविता क्या है ?

हिंदी कविता Hindi Kavita कविता क्या है ? Kavita kya hai ?

दिनकर के वंदन में कलरव,


पवन के झोंके में पल्लव,


पुष्पों पर भँवरों का गुंजन,


नभ पर मेघों का गर्जन |



वन में कुलाँचते सारंग,


अम्बर पर अलंकृत सतरंग,


सागर की लहरों की तरंग,


उत्सव में बजता मृदंग |



पन्ने पर लिखा कोई गीत,


कर्णप्रिय मधुरम संगीत,


जीवन का हर वो पल,


जो बीते संग मनमीत ||

नवंबर 17, 2020

मैंने एक ख्वाब देखा

हिंदी कविता Hindi Kavita मैंने एक ख्वाब देखा Maine ek khwaab dekha

माता की गोद जैसे,


मखमल के नर्म बिस्तर पर,


संगिनी की बांहों में,


निद्रा की गहराइयों में,


मैंने एक ख्वाब देखा |



नीले आज़ाद गगन में,


हल्की बहती पवन में,


पिंजरे को छोड़,


बेड़ी को तोड़,


उड़ता जाऊं क्षितिज की ओर |



श्वेत उजाड़ गिरी से,


ऊबड़-खाबड़ भूमि से,


ध्येय को तलाश,


राह को तराश,


बहता जाऊं सागर की ओर |



मिथ्या मलिन जगत से,


जीवन-मरण गरल से,


निद्रा से जाग,


व्यसनों को त्याग,


बढ़ता जाऊं मंज़िल की ओर ||

जुलाई 30, 2020

मेरा मन

हिंदी कविता Hindi Kavita मेरा मन Mera Mann

जैसे बहती वायु में, पत्तों भरी डाली डोले,


जैसे सावन के झूले-हिंडोले, खाएं हिचकोले,


जैसे नन्हा सा इक बालक, जीवन में चंचलता घोले,


मन मेरा उद्विग्न उतना,


यहाँ ना रुके, वहाँ ना टिके,


इत-उत डोले इत-उत डोले ||

जुलाई 15, 2020

नई शुरुआत

हिंदी कविता Hindi Kavita नई शुरुआत Nai shuruaat

ठहर गई थी जो कलम,


रुक गई थी जो दास्तान,


थम गया था मन का प्रवाह,


बंद थी विचारों की दुकान |



लौटी जीवन-शक्ति अब फ़िर,


लेकर नई उमंग, जोश इस बार,


निकलेगा विचारों का काफ़िला,


शब्दों में फिर इक बार ||

राम आए हैं