जुलाई 30, 2020

मेरा मन

हिंदी कविता Hindi Kavita मेरा मन Mera Mann

जैसे बहती वायु में, पत्तों भरी डाली डोले,


जैसे सावन के झूले-हिंडोले, खाएं हिचकोले,


जैसे नन्हा सा इक बालक, जीवन में चंचलता घोले,


मन मेरा उद्विग्न उतना,


यहाँ ना रुके, वहाँ ना टिके,


इत-उत डोले इत-उत डोले ||

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राम आए हैं