अक्तूबर 21, 2020

कुछ अधूरी ख्वाहिशें

हिंदी कविता Hindi Kavita कुछ अधूरी ख्वाहिशें Kuch Adhoori Khwahishein

वो चेहरा एक सलोना सा,


जो ख़्वाबों में, विचारों में,


अक्सर ज़ाहिर हो जाता है |


जिसको चाहा है उम्रभर,


उसकी यादों के भंवर में,


मन मेरा बस खो जाता है ||



वो शौक एक अनूठा सा,


जिसमें बीता हर इक पल,


मेरे तन-मन को भाता है |


रोज़ी-रोटी के फेर में,


बरबस बीते यह ज़िंदगी,


वक्त थोड़ा मिल ना पाता है ||



वो दामन एक न्यारा सा,


जो बचपन की हर कठिनाई,


का अक्षुण्ण हल कहलाता है |


बेवक्त छूटा था वह साथ,


कह ना पाया था मैं जो बात,


कहने को दिल ललचाता है ||



वो स्वप्न एक प्यारा सा,


जो मन की गहराइयों में,


स्थाई स्थान बनाता है |


भरसक प्रयत्न करके भी,


वह सपना यथार्थ में,


परिवर्तित हो ना पाता है |



वो शोक एक भारी सा,


रह-रहकर चित्त की देह को,


पश्चाताप की टीस चुभोता है |


पृथ्वी की चाल, बहती पवन,


शब्दों के बाण, बीता कल,


पलटना किसको आता है ??



वो भाग्य एक कठोर सा,


कर्मठ मानव के कर्म का,


फल देने से कतराता है |


अपेक्षाओं के ख़ुमार में,


माया के अद्भुत खेल में,


मूर्छित मानव मुस्काता है ||

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राम आए हैं