सितंबर 08, 2020

नवजीवन

हिंदी कविता Hindi Kavita नवजीवन Navjeevan

भद्दी नगरीय इमारत पर,


जड़ निष्प्राण ठूँठ पर,


मरु की तपती रेत पर,


गिरी के श्वेत कफ़न पर,


नवजीवन का अंकुर फूटे,


प्रतिकूल पर्यावरण का उपहास कर |

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