Mann Ke Bhaav offers a vast collection of Hindi Kavitayen. Read Kavita on Nature, sports, motivation, and more. Our हिंदी कविताएं, Poem, and Shayari are available online!
मई 08, 2022
अप्रैल 16, 2022
राम गुण
जब जननी ने श्रीराम को वन-गमन का आदेश दिया,
माता की आज्ञा को प्रभु ने सहर्ष शिरोधार्य किया,
विपदा में भी मर्यादा में रहकर ही व्यवहार किया,
संकट में धीरज रखने का हम सबको आदर्श दिया ||
अप्रैल 01, 2022
राजाजी आने वाले हैं
नन्हे-नन्हे फूल अब मुरझाने वाले हैं,
खट्टे-मीठे रसभरे फ़ल ललचाने वाले हैं,
गर्मी में तन को ठंडक पहुंचाने वाले हैं,
फ़लों के राजाजी आने वाले हैं |
मार्च 17, 2022
बुरा ना मानो होली है
नीला, पीला, हरा, गुलाबी
रंगों से भरी झोली है,
बुरा ना मानो होली है !
गुजिया की मिठास है संग में
शैतानी व ठिठोली है,
बुरा ना मानो होली है !
ठंडाई में चुपके से
भाँग भी हमने घोली है,
बुरा ना मानो होली है !
पुरखों के माथे पर टीका
यारों के संग खेली है,
बुरा ना मानो होली है !
गली-गली में देखो फिरती
मस्तानों की टोली है,
बुरा ना मानो होली है !
पिचकारी के जल से देखो
भीगी-भीगी चोली है,
बुरा ना मानो होली है !
रंगे-पुते चेहरे हैं सबके
जाने कौन हमजोली है,
बुरा ना मानो होली है !
द्वेष भुलाकर आगे बढ़ना
मिलना ही तो होली है,
बुरा ना मानो होली है !!!
मार्च 05, 2022
शेन वार्न को श्रद्धांजलि
आज स्वर्ग में एक क्रिकेट मैच का आयोजन हो रहा है | हमारे सारे पूर्वज दर्शक दीर्घा में बैठे हैं | नर्क से सभी दिवंगत नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है | और मैदान में खेलने के लिए उतरे हैं क्रिकेट जगत के दो दिग्गज जिनके स्वागत में मैं चंद शब्द कहूँगा –
स्वर्ग में भी आज, क्या गज़ब माहौल होगा,
बैटिंग करेंगे ब्रैडमैन, बॉलर वार्न होगा ||
मार्च 01, 2022
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं
आज महाशिवरात्रि पर मेरी भोले बाबा से प्रार्थना है के यूरोप में चल रहे संग्राम पर विराम लगे और विश्व में शांति बहाल हो |
सत्य की जीत हो, असत्य की हार हो,
शिव से ही प्रारंभ है, शिव ही से विनाश हो,
भोले के ही चरणों में झुका संसार हो,
दुष्टों का अंत हो, अमन का आगाज़ हो ||
फ़रवरी 20, 2022
सरहद
हवा के झोकों में लहराती फसलों के बीच में,
अपनी मेहनत के पसीने से धरती को सींच के,
सूरज की तपती किरणों से आँखों को भींच के,
बचपन के अपने यार को उसके खेत से आते देखा |
कंधे पर उसके झोला था माथे पर मेहनत के निशान,
कपड़ों पर उसके मिट्टी थी मेरे ही कपड़ों के समान,
मेरी दिशा में अपनी बूढ़ी गर्दन को मोड़ के,
मेरी छवि को देख उसके चेहरे को मुरझाते देखा |
मैं पेड़ों के ऊपर चढ़ता वो नीचे फ़ल पकड़ता था,
मास्टर की मोटी बेंत से मेरे जितना वो डरता था,
जाने कितनी ही रातों को टूटे-फूटे से खाट पर,
बचपन में असंख्य तारों को हमने झपकते देखा |
वो नहरों में नहाना संग में बैठ कर खाना,
इक-दूजे के घर में सारा-सारा दिन बिताना,
छोटी-छोटी सी बातों पर कभी-कभी लड़ जाना,
बचपन की मीठी यादों को नज़रों में मंडराते देखा |
बस यादों में ही संग हैं, दूरी हममें अब हरदम है,
चंद क़दमों का है फ़ासला पर मिलना अब ना संभव है,
अपनी खेतों की सीमा से सटे लोहे के स्तंभ पर,
क्षितिज तक सरहद के बाड़े को हमने जाते देखा ||
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