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सितंबर 14, 2021

हिंदी दिवस पर विशेष

हिंदी कविता Hindi Kavita हिंदी दिवस पर विशेष Hindi Diwas par Vishesh

संस्कृत की संतान है हिंदी,


संस्कृत सी महान है हिंदी,


भारत की पहचान है हिंदी,


भारत का अभिमान है हिंदी,


भूत का बखान है हिंदी,


भविष्य की उड़ान है हिंदी,


बूढ़ी नहीं जवान है हिंदी,


पीढ़ी का रुझान है हिंदी,


पुरखों का वरदान है हिंदी,


मेरा दिल मेरी जान है हिंदी ||

सितंबर 05, 2021

पैरालंपिक्स के वीर

हिंदी कविता Hindi Kavita पैरालंपिक्स के वीर Paralympics ke Veer

भारतीय पैरालंपिक वीरों को अभूतपूर्व प्रदर्शन पर ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएं |



एक-आध तमगे नहीं, जीते पदक आदतन,

अविश्वसनीय अकल्पनीय अद्वितीय आरोहण ||

अगस्त 08, 2021

मिल्खा सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि

हिंदी कविता Hindi Kavita मिल्खा सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि Milkha Singh ko sacchi Shradhanjali

मिल्खा सिंह जी को कल गए हुए पूरे पचास दिन हो गए | नीरज चोपड़ा ने कल उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी, उनका स्वप्न पूरा करके | नीरज की उपलब्धि एवं मिल्खा जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कुछ पंक्तियाँ -


कमल (नीरज) खिला है आज ओलिंपिक के मैदान में,


मिल्खा झूम रहे होंगे उस पार उस जहान में ||



काश मिल्खा कुछ दिन और जी लेते,


जीते जी अपने सपने को जी लेते ||

अगस्त 05, 2021

हॉकी में पदक पर बधाई

हिंदी कविता Hindi Kavita हॉकी में पदक पर बधाई Hockey mein padak par badhai

बहुत दिनों बाद ऐसी सुबह आई है,


ना रंज है, ना गम है, ना रुसवाई है,


जीत की कहानी हमने दोहराई है,


कांस्य पदक पर पूरे राष्ट्र को बधाई है ||

जुलाई 29, 2021

मैरी कॉम

हिंदी कविता Hindi Kavita मैरी कॉम Mary Kom

पराजित होने पर भी ऐसी मुस्कान कभी देखी है ?

हार-जीत में क्या रखा जीवन के अंग हैं,

प्रेरक तेरा जीवन है, तेरे हर रंग हैं ||



ओलिंपिक पदक विजेता एम. सी. मैरी कॉम को समर्पित |

अक्तूबर 10, 2020

एक भारतीय का परिचय

हिंदी कविता Hindi Kavita एक भारतीय का परिचय Ek Bhartiya ka parichay

क्या मेरी पहचान, क्या मेरी कहानी है,


मज़हब मेरा रोटी है, नाम बेमानी है |



संघर्ष मेरा बचपन है, प्रतिस्पर्धा मेरी जवानी है,


बीमार मेरा बुढ़ापा है, जीवन परेशानी है |



पौराणिक मेरी सभ्यता है, परिचय उससे अनजानी है,


वर्तमान मेरा कोरा है, भविष्य रूहानी है |



सरहदें मेरी चौकस हैं, पड़ोसी बड़े शैतानी हैं,


गुलामी के दाग अब भी हैं, ताकत अपनी ना जानी है |



बाबू मेरे साक्षर हैं, नेता अज्ञानी हैं,


जनता मेरी भोली-भाली, सहती मनमानी है |



रंग मेरा गोरा-काला, बातें आसमानी हैं,


पहनावा मेरा विदेशी है, कृत्यों में नादानी है |



और मेरी पहचान नहीं, नम:कार मेरी निशानी है,


भारत मेरा देश है, दिल्ली राजधानी है ||

अक्तूबर 03, 2020

2 अक्टूबर

हिंदी कविता Hindi Kavita 2 अक्टूबर 2 October

जिसने दी संसार को,


सत-अहिंसा की सीख थी,


जिसकी दृष्टि में किसान की,


अहमियत जवान सरीख थी |



ऐसे महापुरुषों के उद्गम,


की साक्षी यह तारीख है,


निंदा की निरर्थकता का,


प्रमाण हर तारीफ़ है ||

अगस्त 15, 2020

आओ करें हम याद उन्हें

हिंदी कविता Hindi Kavita आओ करें हम याद उन्हें Aao karein hum yaad Unhein

श्रावण के महीने में इक दिन,


बही थी आज़ादी की बयार,


कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को,


बरसी स्वतंत्रता की फुहार |



रवि खिला था रैन घनी में,


दशकों के श्रम का परिणाम,


आओ करें हम याद उन्हें जो,


भेंट चढ़े थे राष्ट्र के नाम ||

जुलाई 26, 2020

कारगिल

हिंदी कविता Hindi Kavita कारगिल Kargil

जल-मरु-गिरी पृथ्वी-आकाश,


कहीं से आए शत्रु चालाक,


भारत के वीरों के आगे,


सफल न होंगे इरादे ना-पाक ||

जनवरी 26, 2020

गणतंत्र दिवस परेड

हिंदी कविता Hindi Kavita गणतंत्र दिवस परेड Republic Day Parade

राजभवन से चला काफ़िला,


जनप्रतिनिधियों को लेकर,


चला वहाँ जहाँ जलती है,


अजर अमर नित्य एक ज्वाला,


जहाँ जीवंत हो उठती है,


वीरों की अगणित गाथा |



शीश झुकाकर किया नमन,


याद किया कुर्बानियों को,


माताओं के बलिदानों को,


यतीमों के रुदानों को,


रणबाँकुरे सेनानियों की स्मृति में,


झुक गया हर शीश हर माथा |



देखो फहराया गया तिरंगा,


गूँज उठा है राष्ट्रगान,


खड़े हुए हैं चहुँ ओर दर्शक,


देने तिरंगे को सम्मान,


गूँज उठी हैं 21 तोपें,


जैसे सिंह वन में गर्जाता |



हुआ शूरवीरों का सम्मान,


कईयों का जीते-जी कुछ का मरणोपरांत,


पर जीवित रहता है इनसे ही,


हम देशवासियों का अभिमान,


जीवित रहेंगे ये वीर भी तब तक,


जब तक इनकी वीरगाथा जन-जन है सुनाता |



देखो देखो सेना आई,


सैन्यशक्ति पथ पर दर्शायी,


थल-जल-वायु का यह मेला,


जन-जन का वक्ष गर्व से सुजाता,


पर चार चाँद लगाने इस दल को,


देखो ऊंटों का दस्ता आता |



सजी झांकियां सजे बहु जन हैं,


हुआ इनपर व्यय बहु धन है,


फिर भी लूटा इनने सबका मन है,


शोभायमान इन झांकियों से,


राजपथ पर बस इक दिन,


संपूर्ण भारतवर्ष है छा जाता |



देखो वीर बालक आए,


गजराज पथ पर हैं छाए,


कुछ साहसी मानवों ने,


मोटर-साइकिल पर करतब दिखाए,


गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर,


गौरवान्वित होती भारतमाता ||

राम आए हैं