दिसंबर 31, 2021

उफ़ ! यह कैसा साल था ?

हिंदी कविता Hindi Kavita उफ़ यह कैसा साल था Uff yeh kaisa saal tha

ट्रैक्टर पर निकली थी रैली,


गणतंत्र पर सवाल था,


लाल किले पर झंडा लेकर,


आतताईयों का बवाल था,


उफ़ ! यह कैसा साल था ?



घर में बंद था पूरा घराना,


परदा ही बस ढाल था,


खौफ की बहती थी वायु,


गंगा का रंग भी लाल था,


उफ़ ! यह कैसा साल था ?



उखड़ रही थी अगणित साँसें,


कोना-कोना अस्पताल था,


शंभू ने किया था ताण्डव,


दर-दर पर काल था,


उफ़ ! यह कैसा साल था ?



क्षितिज पर छाई फ़िर लाली,


टीका बेमिसाल था,


माँग और आपूर्ति के बीच,


गड्ढा बड़ा विशाल था,


उफ़ ! यह कैसा साल था ?



ओलिंपिक में चला था सिक्का,


पैरालिंपिक तो कमाल था,


वर्षों बाद मिला था सोना,


सच था या ख्याल था ?


उफ़ ! यह कैसा साल था ?



टूटा था वो एक सितारा,


मायानगरी की जो शान था,


बादशाह की किस्मत में भी,


कोरट का जंजाल था,


उफ़ ! यह कैसा साल था ?



फीकी पड़ रही थी चाय,


मोटा भाई बेहाल था,


सत्ता के गलियारों में भी,


कृषकों का भौकाल था,


उफ़ ! यह कैसा साल था ?



सुलूर से चला था काफिला,


वेलिंगटन में इस्तकबाल था,


रावत जी की किस्मत में पर,


हाय ! लिखा इंतकाल था,


उफ़ ! यह कैसा साल था ?



काशी का बदला था स्वरूप,


मथुरा भविष्यकाल था,


आम आदमी का लेकिन,


फ़िर भी वही हाल था,


उफ़ ! यह कैसा साल था ?



चुनावों का बजा था डंका,


गरमागरम माहौल था,


बापू को भी गाली दे गया,


संत था या घड़ियाल था,


उफ़ ! यह कैसा साल था ?



स्कूटर पर आता-जाता,


दिखने में कंगाल था,


पर उसके घर में असल में,


200 करोड़ का माल था,


उफ़ ! यह कैसा साल था ?



थोड़ा-थोड़ा हर्ष था इसमें,


थोड़ा सा मलाल था,


थोड़े गम थे थोड़ी खुशियाँ,


जो भी था, भूतकाल था,


जैसा भी यह साल था ||

दिसंबर 27, 2021

पहला प्यार

हिंदी कविता Hindi Kavita पहला प्यार Pehla Pyaar

वो पहला-पहला प्यार,


वो छुप-छुप के दीदार,


वो मन ही मन इकरार,


वो कहने के विचार,


वो सकुचाना हर बार,


फिर आजीवन इंतज़ार ||

दिसंबर 13, 2021

हर-हर महादेव

हिंदी कविता Hindi Kavita हर-हर महादेव Har Har Mahadev

हर-हर करता हर एक जन पहुँच रहा अब हर के धाम,


हर हैं भोले हर ही भैरव, हर ही हैं करुणा के धाम ||

दिसंबर 05, 2021

नवंबर 09, 2021

हमने एक बीज बोया था

हिंदी कविता Hindi Kavita हमने एक बीज बोया था Humne ek beej boya tha

सूखे निर्जल मरुस्थल में,


मृगतृष्णा के भरम में,


सर्वस्व जब खोया था,


हमने एक बीज बोया था |



जब सपना अपना टूटा था,


अनपेक्षित अंकुर फूटा था,


श्रम से उसको संजोया था,


हमने एक बीज बोया था |



आज मरु पर उपवन छाया है,


जो चाहा था वह पाया है,


फलों से नत लहराया है,


हमने जो बीज बोया था ||

नवंबर 04, 2021

शुभ दीपावली

हिंदी कविता Hindi Kavita शुभ दीपावली Shubh Deepawali

संत कवि श्रीतुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस से प्रेरित दीपावली के संदर्भ में मेरी चंद पंक्तियाँ -



भ्रमित भटकता हूँ मैं बालक |

तुम ही हो जगत के पालक ||


नीच कुटिल है मेरी संगत |

माँगू राम नाम की रंगत ||


राम बनो मेरे खेवैया |

भवसागर तर जाए नैया ||


दीपक घृत के दिल में जलाऊं |

हृदय में श्रीहरि को मैं बसाऊं ||

अक्तूबर 31, 2021

सरदार पटेल की जयंती पर श्रद्धासुमन

हिंदी कविता Hindi Kavita सरदार पटेल की जयंती पर श्रद्धासुमन Sardar Patel ki Jayanti par Shradhasuman

तिनकों को समेट कर इक धागे में पिरोया था,


टुकड़ों को बटोर कर इक राष्ट्र को संजोया था,


नमन है भारतमाता के उस वीर पुत्र को,


नींव में जिसने एकता का इक बीज बोया था ||

राम आए हैं